सिर्फ ₹4,000 से शुरू किया बिजनेस, आज ₹2.5 लाख महीने की कमाई, मां-बेटे की जोड़ी ने ऐसे किया कमाल: Success Story

Started business with just ₹4,000: मध्य प्रदेश के अशोक नगर की रहने वाली सरोज प्रजापति की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहती है। 43 वर्षीय सरोज ने अपने बेटे अमित की मदद से एक छोटे से अचार के व्यवसाय की शुरुआत की, जो आज एक सफल उद्यम बन चुका है।

छोटी सी शुरुआत, बड़ी सफलता

सरोज ने अपने घर की रसोई से महज 4,000 रुपये के साथ ‘मॉम्स मैजिक पिकल इंडिया’ की शुरुआत की। आज वह हर महीने 2.5 लाख रुपये कमा रही हैं। यह सफलता उनके कड़े परिश्रम और दृढ़ संकल्प का परिणाम है।

परिवार का सहयोग बना सफलता की कुंजी

सरोज के 19 वर्षीय बेटे अमित ने अपनी मां के व्यवसाय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सोशल मीडिया पर ब्रांड की पहचान बनाई और डिजिटल मार्केटिंग की। इस मां-बेटे की जोड़ी ने साबित कर दिया कि परिवार का सहयोग किसी भी व्यवसाय की सफलता में कितना महत्वपूर्ण होता है।

बचपन से सीखा हुनर बना रोजगार का जरिया

सरोज ने 15 साल की उम्र में पहली बार अचार बनाया था। अपनी मां से सीखा यह हुनर आज उनकी आजीविका का साधन बन गया है। उन्होंने साबित कर दिया कि शिक्षा की कमी सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती।

गुणवत्ता और विविधता पर जोर

सरोज केवल आम के अचार से शुरुआत करके अब हरी मिर्च, नींबू, मिक्स सब्जी और मीठे आम जैसे कई प्रकार के अचार बनाती हैं। उनके उत्पाद बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों की तुलना में सस्ते होने के साथ-साथ बिना किसी रासायनिक पदार्थ और परिरक्षक के बनाए जाते हैं।

रोजगार सृजन में योगदान

सरोज की सफलता सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी लाभदायक साबित हुई है। वह अब 30 स्थानीय महिलाओं को रोजगार दे रही हैं, जिससे उनके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आया है।

सपनों को साकार करने की प्रेरणा

सरोज की कहानी साबित करती है कि उम्र, शिक्षा या पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखती जब आप अपने सपनों को पूरा करने का दृढ़ संकल्प लेते हैं। एक गृहिणी से उद्यमी बनने तक का उनका सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जीवन में कुछ नया करना चाहता है।

सरोज प्रजापति की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कभी भी देर नहीं होती। अपने पारंपरिक कौशल का उपयोग करके और परिवार के समर्थन के साथ, कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी सफलता ग्रामीण भारत में छिपी प्रतिभा और उद्यमशीलता की क्षमता को उजागर करती है।

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