सितंबर में 3% बढ़ेगा महंगाई भत्ता, सैलरी में ₹20,484 का इज़ाफ़ा 7th Pay Commission DA Hike

मोदी सरकार सितंबर 2024 में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी घोषणा कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) में 3% की बढ़ोतरी की योजना बना रही है। यह वृद्धि जनवरी 2024 में की गई पिछली बढ़ोतरी के बाद होगी, जिसमें DA 50% तक पहुंच गया था।

DA गणना: नए फॉर्मूले का प्रभाव

DA की गणना अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI) पर आधारित है। सितंबर 2020 से, सरकार ने 2016 को आधार वर्ष मानकर एक नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक लागू किया है। इस नए फॉर्मूले के अनुसार, दिसंबर 2023 से जून 2024 तक CPI-IW में 2.6 अंकों की वृद्धि हुई है, जिससे DA प्रतिशत 50.28% से बढ़कर 53.36% होने की संभावना है।

वेतन वृद्धि का अनुमान: विभिन्न वेतनमानों पर प्रभाव

निम्न वेतनमान वाले कर्मचारियों के लिए लाभ

18,000 रुपये मूल वेतन वाले कर्मचारियों को प्रति माह 540 रुपये की वृद्धि मिल सकती है, जो सालाना 6,480 रुपये बनती है।

उच्च वेतनमान वाले कर्मचारियों के लिए लाभ

उच्च वेतनमान श्रेणी में, जिन कर्मचारियों का मूल वेतन 56,900 रुपये है, उन्हें प्रतिमाह लगभग 1,700 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। यह वार्षिक स्तर पर देखें तो करीब 20,400 रुपये की उल्लेखनीय बढ़ोतरी का संकेत देता है।

भविष्य की संभावनाएं: DA का मूल वेतन में विलय?

DA और DR के 50% की सीमा पार करने के साथ, कुछ विशेषज्ञ इन भत्तों को मूल वेतन में मिलाने की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मूल वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

सावधानी बरतने की सलाह

हालांकि यह खबर कर्मचारियों के लिए उत्साहजनक है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा करें।

आर्थिक प्रभाव और महत्व

त्योहारी सीजन के करीब आने और लगातार बदलते आर्थिक परिदृश्य में, यह संभावित DA बढ़ोतरी मुद्रास्फीति से जूझ रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है। इस निर्णय का न केवल लाभार्थियों पर, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।

सरकार के इस कदम पर आर्थिक विशेषज्ञों की भी नजर रहेगी, क्योंकि यह फैसला सार्वजनिक व्यय और देश की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। आने वाले दिनों में इस संबंध में और अधिक स्पष्टता की उम्मीद है।

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